पिता करते थे कोयले के खदान में काम, बेटे को फौजी बनाने का था सपना , पर किस्मत ने बना डाला क्रिकेटर….पढ़िए उमेश यादव की कहानी

samachar

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इस दुनिया में माता पिता हर बच्चे के लिए भगवान का ही दूसरा रूप होते हैं जोकि ना केवल अपने बच्चे को दुनिया में लाते हैं बल्कि उनकी परवरिश कर उन्हें जिंदगी की हर खुशियां देते हैं और आखिरी दम तक अपने बच्चों के लिए अपनी जिंदगी तक न्योछावर करने के लिए तैयार रहते हैं| एक बच्चा चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो जाए परंतु अपने माता-पिता के लिए वह हमेशा बच्चा ही रहता है और उसके मन में माता पिता के लिए अहमियत कभी भी कम नहीं होती| ऐसे में जब बच्चे के सिर से उनके माता या पिता किसी का भी साया हट जाता है तब वह बच्चा असहनीय पीड़ा में डूब जाता है और माता पिता को भुला पाना किसी भी बच्चे के लिए आसान नहीं होता|

बेटे को फौजी बनाने का था सपना

ऐसी ही पीड़ा का सामना इस वक्त भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज क्रिकेटर और तेज गेंदबाज उमेश यादव कर रहे हैं दरअसल हाल ही में उमेश यादव के पिता तिलक यादव इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए| उमेश यादव के पिता तिलक यादव ने 74 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली| उमेश यादव के पिता तिलक यादव लंबे समय से बीमार चल रहे थे और वह एक निजी अस्पताल में काफी समय से भर्ती थे| हालांकि उनकी सेहत में सुधार हो गया था जिसके बाद उन्हें घर ले जाया गया |

परंतु बीते 23 फरवरी 2023 को बुधवार की शाम तिलक यादव ने अपनी अंतिम सांस ली और वह इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए| तिलक यादव के तीन बेटे और एक बेटी है और ऐसे में पिता का साया फिर से उठ जाने के बाद तीनों बच्चों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है| उमेश यादव के भाइयों का नाम कमलेश और रमेश यादव है| पिता के निधन के बाद तीनों बेटों ने अपने पिता का अंतिम संस्कार नागपुर की कोलार नदी के घाट पर किया| आपको बता दें उमेश यादव के पिता तिलक यादव एक जाने-माने पहलवान थे और इन्होंने अपने समय में पहलवानी में बेशुमार नाम कमाया था|

 

 

 

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