मजदूरी करते थे मां-बाप, गरीबी को हराकर DSP बने संतोष पटेल, साइकिल से लेकर आये थे अपनी दुल्हनिया

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कहते हैं यदि आप किसी गरीब के घर में पैदा होते हैं तो ये आपकी गलती नहीं है। यह आपकी किस्मत है। लेकिन यदि आप जिंदगीभर गरीब बनकर ही रहते हैं तो ये सिर्फ और सिर्फ आपकी गलती है। इंसान चाहे तो मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी मेहनत और लगन से आगे बढ़ सकता है। यदि यकीन नहीं तो डीएसपी संतोष पटेल की सक्सेस स्टोरी (Success Story of DSP Santosh Patel) देख लीजिए।

गरीबी को हराकर DSP बने संतोष पटेल

डीएसपी संतोष पटेल मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के अजयगढ़ के देवगांव के रहने वाले हैं। उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता। मां-बाप मजदूरी कर परिवार का पेट पालते थे। वह एक घास-फूस से बनी झोपड़ी में रहते थे। हालांकि उन्होंने कभी बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साथ समझौता नहीं किया। इसका नतीजा ये हुआ कि उनका बेटा डीएसपी बन गया। संतोष का गांव एक जंगल किनारे था। यहां अधिकतर लोगों की आय का साधन जंगल में होने वाली मजदूरी था। उनके पिता दिन रात मेहनत कर थोड़ा बहुत कमाते थे। वह गर्मी के सीजन में तेंदू पत्ता एकत्रित करते थे। बरसात के सीजन में पेड़ लगाते थे। कभी-कभी शहद भी निकालते थे। उनकी मजदूरी से जितनी भी आय होती थी उसका एक बड़ा हिस्सा बच्चों की पढ़ाई में लगाते थे।

संतोष ने अपनी स्कूल की पढ़ाई सरकारी स्कूल में ही की। उनके पिता को बच्चों को पढ़ाने का बड़ा शौक था। उदाहरण के लिए जब मार्च में परीक्षा खत्म होती थी, तो तुरंत अगली क्लास की किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं रहती थी। ऐसे में पिता बेटे के लिए पुरानी किताबे ले आते थे। संतोष बताते हैं कि तब पढ़ाई में मन तो नहीं लगता था, लेकिन कोई और दूसरा रास्ता भी नहीं था। संतोष को जब किसी इवेंट या पार्टी में जाना होता था तो वह स्कूल ड्रेस में जाया करते थे। जबकि उनके दोस्त नए और अच्छे कपड़े पहनकर आते थे। यह देख उन्हें बुरा भी लगता था। लेकिन उन्होंने सोच लिया था कि मैं गरीब घर में पैदा हुआ हूं, यह भगवान की मर्जी है। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। लेकिन यदि गरीब ही मर जाऊं तो ये मेरी गलती होगी।

 

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